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NIGHT WALKERS.

अरे कोई है...

" पता नहीं अब तक दरवाजा क्यूं नहीं खुला, इतनी देर हो गई है दस्तक दिए हुए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई... अ ss रे कोई है , मैं रास्ता भटक गया हूं... कोई तो होगा जो मेरी मदद कर सके... आख़िर कोई सुनता क्यूं नहीं है इस अंधे बहरों की बस्ती में, बस एक बार दरवाजा खोल फ़िर देख मैं क्या करता हूं... शराफ़त की भाषा किसी के समझ में नहीं आती है, पता नहीं कैसे लोग हैं यहां पर जो सज्जनता का प्रमाण नहीं दे रहे हैं... अरे भाई मैं कोई चोर उचक्का नहीं हूं, मैं बस ज़मीन पर गिर कर थोड़ा ज़ख्मी हो गया हूं, यार ... बात को समझा करो, मुझे सहायता की ज़रूरत है... अगर फर्स्ट ऐड किट भी मिल जाए तो बहुत है इस समय, आ ss ह... मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है, पता नहीं और कितना चिल्लाना पड़ेगा, दरवाजा खुलवाने के लिए," कार्टर काफ़ी देर तक दरवाज़े के बाहर खड़े होकर उसके खुलने का इंतजार करते हुए झुंझला जाता है और ज़ोर से चीखते हुए घर के मालिक को अपनी बात समझाने का प्रयास करता है... पर इससे उसे कोई ख़ास लाभ होता दिखाई नहीं पड़ता है। कार्टर थक हार कर उस घर की दहलीज से नीचे उतर जाता है और सुनसान सड़क पर अागे बढ़ने लगता है, मन में इस उम्मीद की किरण लिए कि कोई तो घर ऐसा होगा जो उसकी फ़रियाद सुनकर मदद करने के लिए तैयार हो जाएगा। 

" बड़ी अजीब सी बस्ती है... यहां का सन्नाटा ये दर्शा रहा है कि जैसे मातम मना रहा हो हर कोई, अपने घर में घुसकर... पर फ़िर भी इस सन्नाटे के शोर में कहीं न कहीं इस बस्ती में बसने वाले लोगों की आवाज़ें दब कर रह गई हैं, पता नहीं वो कौन सा मनहूस वक़्त होगा जब मैंने यहां आने का फैसला किया होगा... उ ss फ्फ, कमबख्त मुझे कुछ याद भी नहीं है कि आख़िर क्या हुआ था मेरे साथ, जो मैं इस मनहूस बस्ती में पहुंच गया," कार्टर ने सुनसान सड़क पर अागे बढ़ते हुए अपने मन में विचार किया और जल्द ही तीसरे मकान के नज़दीक पहुंच गया, पर इस बार कार्टर ने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर दस्तक देने के बजाए, चोरों की तरह पहले खिड़की से झांक कर देखने का फ़ैसला किया... अतः कार्टर उस घर के गलियारे में मौजूद शीशे की खिड़की से अन्दर झांक कर देखता है, कार्टर घर की उस खिड़की के अन्दर चारों ओर नज़र घुमाते हुए देख ही रहा था कि तभी अचानक...

" खट ss खट ss खट... कोई है क्या वहां पर, मैंने तुम्हें देख लिया है, देखो छुपने से कोई फ़ायदा नहीं होगा... प्लीज़ मेरी मदद कर दो, मैं एक भटका हुआ मुसाफ़िर हूं जो शायद रास्ता भटक गया है... प्लीज़ घर का दरवाजा खोल दो और मेरी सहायता कर दो... हेल्लो ss हेल्लो, क्या तुम मुझे सुन रहे हो... कमाल की बात है, अचानक छुप क्यूं गया मुझे देख कर... अभी अभी तो मैंने किसी की परछाईं देखी थी घर के अंदर, फ़िर अचानक गायब कैसे हो गया," कार्टर की नज़र एक परछाईं से टकराती है जो घर में चहल कदमी कर रही थी, उत्सुकतापूर्वक कार्टर शीशे की खिड़की पर दस्तक देकर मदद मांगने का प्रयास करता है, पर इससे पहले कि कार्टर उस परछाईं तक अपनी बात पहुंचा सकता वो गायब हो जाती है, जिसे देखकर कार्टर आश्चर्य में पड़ जाता है और हैरत जताते हुए ख़ुद से कहता है।

"कमाल की बात है... कोई घर आए हुए मेहमान को देखकर इस तरह से छुपता है क्या... आख़िर इस तरह की हरकत से क्या मतलब निकाला जाए, ख़ैर अब जो भी हो इस तरह की बेरुखी देखकर तो ये साफ़ पता चलता है कि मुझे मुख्य प्रवेश द्वार पर दस्तक देने से भी कोई मदद नहीं मिलने वाली है... ओ ss ह, ये मैं किस मुसीबत में पड़ गया हूं, दिन भी कुछ समय बाद ढल जाएगा और अब तक इस बस्ती में बसने वाले लोगों से मुझे कोई मदद नहीं मिल पाई है... क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है, जो भी हो मैं हिम्मत नहीं हार सकता हूं, मुझे अागे बढ़ कर किसी दूसरे से मदद मांगने के लिए दरवाज़े पर दस्तक देना पड़ेगा, हो सकता है कि कोई न कोई दरवाजा खोल ही दे,"  कार्टर उस घर के शीशे की खिड़की से झांक कर देखने के बाद आश्चर्य में डूब कर ख़ुद से बातें करते हुए कहता है और फिर अगले घर की ओर बढ़ने की तैयारी करने लगता है।

बस्ती में फैले मातम जैसे सन्नाटे को देखकर कार्टर आश्चर्य के साथ साथ भय का भी अनुभव करने लगा, उसे समझते देर नहीं लगती है कि पहाड़ियों के बीच सन्नाटे में बसी, उस सूनसान बस्ती में वह अकेला ही यहां वहां भटक रहा है... उस मातम समान सन्नाटे ने कार्टर को सोचने पर मजबूर कर दिया , वह खुद को उस मूर्ख व्यक्ति की तरह समझने लगता है, जिसके सामने सभी बुद्धिमान व्यक्ति मौन रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं, क्यूंकि आप सभी ने अपने जीवन में एक कहावत तो सुनी ही होगी कि "एक चुप सौ को हराए, एक चुप सौ को सुख दे जाए और इसलिए हम कई बार चुप रहते हैं," मौन रह जाते हैं क्योंकि यह सच भी है कि एक मूर्ख व्यक्ति के सामने मौन रहने से अच्छा उत्तर और कुछ भी नहीं हो सकता। परंतु जीवन में सदैव चुप रहना उचित नहीं होता है। कभी-कभी हम सबके जीवन में एक समस्या अवश्य आती है कि हम किसी ताकतवर के समक्ष मौन हो जाते हैं। प्राय: उसकी ताकत से बचने के लिए हम मौन रह जाते हैं। मानते हैं कि ऐसा करने से हम एक विवाद से बच जाते हैं। हो सकता है कि एक संघर्ष से भी बच जाते हों। परंतु ऐसा बचाव देर-सबेर एक बड़े संघर्ष को जन्म दे देता है। हमारा मौन रहना अनजाने में उस व्यक्ति का समर्थन बन जाता है और वह अपने आपको और अधिक शक्तिशाली अनुभव करने लगता है। ऐसा ही कुछ कार्टर के साथ भी हो रहा था, जहां उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, या तो वह उस बस्ती में फैले सन्नाटे को ख़ुद से ज़्यादा ताकतवर मानकर ख़ुद मौन धारण कर ले , या फ़िर वह अपनी उपस्थिति का आभास कराते हुए उस सन्नाटे के अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाए...
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.

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1 Comments

Reena yadav

14-May-2024 11:19 PM

👍👍

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